कब सीखेंगे हम भला?
हमनें किया सदा विश्वास,
हमनें किया सदा विश्वास,
टूटी हमेशा हमारी आस।
आए थे अंग्रेज व्यापारी,
आए थे अंग्रेज व्यापारी,
मेहमां समझ दिया सत्कार।
उन्होंने पीठ में छूरा घोंपा,
उन्होंने पीठ में छूरा घोंपा,
किया पूरे देश पर राज।
गुलाम बना हमें लूटा,
गुलाम बना हमें लूटा,
तीन सदियों तक हक थोपा।
पड़ौसी को छोटा भाई मान,
पड़ौसी को छोटा भाई मान,
न किया कभी अपमान।
उसने सदा दुश्मनी निभाई,
उसने सदा दुश्मनी निभाई,
उदारता हमारी रास न आई।
तीन बार मुंह की खाने पर भी,
तीन बार मुंह की खाने पर भी,
बार-बार देता कठिनाई।
अपना घर उससे न संभले,
अपना घर उससे न संभले,
कश्मीर की देता है दुहाई।
ड्रैगन को भी अपना समझा,
ड्रैगन को भी अपना समझा,
दिया उसे आदर सम्मान।
पंचशील सिद्धांत पर चलकर,
पंचशील सिद्धांत पर चलकर,
दिखाई सबको नई मिसाल।
नहीं जानते थे उसके अन्दर,
थी एक कपटपूर्ण चाल।
हमला कर घाव दिया,
किया मित्रता को तार-तार।
आज अमेरिका भी आया है,
बेरोजगारी कर रही उसे परेशान।
हम नहीं भूले अपने संस्कार,
झोली भर उसे दे रहे सम्मान।
अपना हित साधते जो रहा,
क्या हमें भी देगा वो कुछ खास।
आशा करना है बेकार क्योंकि,
आशा करना है बेकार क्योंकि,
अतिविश्वास से मिला सदा ही धोखा।