Sunday, November 14, 2010

कब सीखेंगे हम भला?

कब सीखेंगे हम भला?
हमनें किया सदा विश्वास,
 टूटी हमेशा हमारी आस।
 आए थे अंग्रेज व्यापारी,
 मेहमां समझ दिया सत्कार।
 उन्होंने पीठ में छूरा घोंपा,
 किया पूरे देश पर राज।
 गुलाम बना हमें लूटा,
 तीन सदियों तक हक थोपा।
 पड़ौसी को छोटा भाई मान,
  किया कभी अपमान।
 उसने सदा दुश्मनी निभाई,
 उदारता हमारी रास आई।
 तीन बार मुंह की खाने पर भी,
 बार-बार देता कठिनाई।
 अपना घर उससे संभले,
 कश्मीर की देता है दुहाई।
 ड्रैगन को भी अपना समझा,
दिया उसे आदर सम्मान।
पंचशील सिद्धांत पर चलकर,
दिखाई सबको नई मिसाल।
नहीं जानते थे उसके अन्दर,
थी एक कपटपूर्ण चाल।
हमला कर घाव दिया,
किया मित्रता को तार-तार।
आज  अमेरिका  भी आया है,
बेरोजगारी कर रही उसे परेशान।
हम नहीं भूले अपने संस्कार,
झोली भर उसे दे रहे सम्मान।
अपना हित साधते  जो रहा,
 क्या हमें भी देगा वो  कुछ खास।
 आशा करना है बेकार  क्योंकि,
अतिविश्वास से मिला सदा ही धोखा।


Friday, November 5, 2010

लक्ष्मी जी का त्यौहार....

लक्ष्मी जी का त्यौहार,माँ सन्तोषी का शुभ वार।
लाए आपके जीवन में,ढेर सारी खुशियाँ अपार।
धन-धान्य से भरपूर हो,आपका सम्पूर्ण घर-बार।
मिलजुल कर मनाओ,आज है दिवाली का त्यौहार।
         शुभ दीपावली।
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Tuesday, October 26, 2010

मेरे देश के वीर जवानों के लिये......

मेरे देश के वीर जवान,तुझे मेरा शत्-शत् प्रणाम।
        सीमा पर रहते हर समय तुम,हथेली पर रखे जान।
        दुशमन की क्या हिम्मत जो,करे यहाँ कुछ नुक्सान।
        तुम्हारी एक ललकार पर,भाग जाते छोड मैदान।
मेरे देश के वीर जवान,तुझे मेरा शत्-शत् प्रणाम।
                   छाती पर गोलियाँ खा-खा कर,नहीं घबराना तुम्हारा काम।
                   देश की आन पर जब-जब,माँगा गया बलिदान।
                   हर समय तुम आगे आए,अपना सीना तान।
मेरे देश के वीर जवान,तुझे मेरा शत्-शत् प्रणाम।
         ना तू हिन्दू ना तू मुसलमान,जात-पात से तू अन्जान।
         वतन की रखवाली करना,सदा समझा पहला काम।
         तेरी हिम्मत और ताकत देख,शत्रु होते सदा हैरान।
मेरे देश के वीर जवान,तुझे मेरा शत्-शत् प्रणाम।