ऐ मेरे देश के वीर जवान,तुझे मेरा शत्-शत् प्रणाम।
सीमा पर रहते हर समय तुम,हथेली पर रखे जान।
दुशमन की क्या हिम्मत जो,करे यहाँ कुछ नुक्सान।
तुम्हारी एक ललकार पर,भाग जाते छोड मैदान।
ऐ मेरे देश के वीर जवान,तुझे मेरा शत्-शत् प्रणाम।
छाती पर गोलियाँ खा-खा कर,नहीं घबराना तुम्हारा काम।
देश की आन पर जब-जब,माँगा गया बलिदान।
हर समय तुम आगे आए,अपना सीना तान।
ऐ मेरे देश के वीर जवान,तुझे मेरा शत्-शत् प्रणाम।
ना तू हिन्दू ना तू मुसलमान,जात-पात से तू अन्जान।
वतन की रखवाली करना,सदा समझा पहला काम।
तेरी हिम्मत और ताकत देख,शत्रु होते सदा हैरान।
ऐ मेरे देश के वीर जवान,तुझे मेरा शत्-शत् प्रणाम।